Tuesday, June 24, 2008
क्या इस धरती पर कोई ऐसा नही जो मेरे बेटे को वापस ला सके
आकाश का अपहरण पटना के शास्त्रीनगर स्थित डी.ऐ.भी स्कूल जाते समय १० अगस्त २००७ को एक हरी मारुती भैन में सवार मात्र तीन नवयुवको ने कर लिया जिसका की साक्ष्य वहां मौजूद लोग थे | ये तीन युवक इतने शक्तिशाली थे की लगभग एक साल बीतने के बावजूद बिहार पुलिस को न तो उनके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ गाड़ी बरामद हुआ और न ही ये तीन अपहर्ता |क्या ये विस्वास किया जा सकता है की इतनी बड़ी वारदात हो और पुलिस को इसकी ख़बर ही नही हो | और मजेदार बात यह हो जाती है की पुलिस थाना घटना स्थल के ठीक नाक के नीचे हो और पुलिस को कुछ पता ही न हो | वाह रे बिहार पुलिस तेरी क्या तारीफ़ करे , सब कम है | खैर जो दिखावा हुआ वो तो हुआ | एकमात्र बिहार के मुख्यमंत्री जी ही ऐसे व्यक्ति दिखे जिन्होंने इतनी बड़ी जिम्मेवारी से समय निकालते हुए बड़े ही धैर्य से हमारी बातें सुनी और पुलिस को फटकार लगायी | मगर इतना कुछ होते हुए भी सब बेकार ही गया | एक माँ की दशा तो एक माँ ही समझ सकती है | यह सोचकर की हमारी भूतपूर्व मुख्यमंत्री एक माँ थी और सारी राजनीती भूलकर कमसे कम वो तो जरुर हमारी मदद करेंगी | मगर सलाम उस गन्दी राजनीति की जो एक माँ को भी राजनीति करने से नही रोक सकी | हमने गुहार लगायी की शायद एक माँ का दिल तो कम से कम डोलेगा और उसकी कोशिश हमारी कोशिश से मिलकर दुगुना हो जायेगी और जरुर से हम आकाश को बरामद कर लेंगे | सब बेकार गया | आकाश को बचाने के लिए उसकी माँ ने क्या नही किया | एक मजबूर माँ और उसका पूरा असहाय परिवार सारे धर्मं के सामने माथे टेके | पर मजा तो तब आता है जब सारे धर्मं की आड़ में बैठे बनावटी लोगो से सामना होता है | ये मजबूर लोगो से उसकी मजबूरी देखकर अपना उल्लू सीधा करने लग जाते हैं | आख़िर ये धर्म का चोला ओढ़कर व्यापार क्यों कर रहे हैं ? मैं ये अपने ब्लॉग पढने वालो पर छोड़ता हूँ की इनके साथ क्या करना चाहिए |इन थोड़े लोगो ने आस्था से परिपूर्ण परिवार को आस्था रहित कर् रहे हैं | इनकी क्या सजा होनी चाहिए ? पत्थर पूजे गए , वृक्ष ,नदी , और ना जाने क्या क्या॥ मगर सब के सब बेकार |जब मानव जैसी शक्ति जो कुछ भी करने में सक्षम है वो विवश नजर आ रहा हो और वो भी एक मामूली से केस में |
मैं आज राष्ट्रपति से लेकर भारत के एक मामूली इंसान से गुहार लगाना चाहता हूँ की आखीर ये हिंसा ,लूटपाट , अपहरण , से निपटने का कोई काट नही है? कोई इस देश में नही है जो मेरे बेटे की बरामदगी करा सके | कहा जाता है की हमारे देश की सबसे होनहार एवं काबिल एजेंसी सीबीआई है और हमारे मुख्यमंत्री जी ने जब इस केस को सीबीआईne को सौंपा तो फिर क्या कारण थे जो किसी तरह का अनुसंधान सुरु भी नही हुआ | क्या हमारे लिए ये एजेंसियां नही हैं ? क्या इस केस में (जहाँ सारी शक्तियां जबाब दे चुकी हो ) कोई दम नही है ? क्या किसी असहाय निर्दोष जीवित बच्चे का जान बचाने के लिए ये एजेंसियां नही हैं ? क्या ये केवल मरने पर ही एपी अनुसंधान सुरु करती हैं ?
मैं आज सारे भारत से गुहार लगाता हूँ की "आओ आगे बढे और एक निर्दोष बच्चे को बचाकर आने वाले सुंदर भारत की कल्पना को साकार करें "
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